सन्नाटे

ये जो गहरे सन्नाटे हैं,
वक्त ने सबको ही बांटे हैं .
थोड़ा गम हैं सबका किस्सा, 
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा.
आँख तेरी बेकार ही नम है,
हर पल एक नया मौसम है.
क्यू तू ऐसे पल खोता है ,
 दिल आखिर तू क्यू रोता है...
- फरहान अख़तर

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